
अनंत पत्र
वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर काशी विद्यापीठ विकास खंड के बंदेपुर गांव में शुक्रवार को महिला-किशोरी चेतना समिति के नेतृत्व में “जेंडर समानता, किशोरी शिक्षा” विषय पर गोष्ठी आयोजन किया गया था।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र सभा में प्रस्ताव पारित कर 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया गया। भारत में नवरात्रि में शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हमारा समाज किशोरी व महिलाओं को शक्ति की देवी के रूप में पूजता अवश्य है पर उन्हें उनका अधिकार नही देता है। जब तक उन्हें उनका अधिकार नहीं मिलेगा सशक्त समाज का निर्माण नहीं हो सकता। इसमें शिक्षा की भी अहम भूमिका है बालिका शिक्षा की ओर ध्यान देने की जरूरत है। हमारे धर्म, संस्कृति और सभ्यता में देवी और देवता को बराबर का महत्व और अधिकार दिया गया। नवरात्रि में शक्ति की पूजा के साथ ही कन्या पूजन भी करते हैं। यह पर्व किशोरियों और महिलाओं का सम्मान करने, बराबरी का अधिकार देने, लैंगिक आधार पर भेदभाव न करने का संदेश देता है। तभी नवरात्रि व अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मानने का सपना साकार हो सकता है।
गोष्ठी में अंजली, रेखा, सोनी प्रिया, रचना, सरोज आदि मौजूद थीं।